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त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। येहि अवसर मोहि आन उबारो॥ क्षम्यतां नाथ, अधुना अस्माकं दोषः अस्ति। प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं। जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।। तुह्मरे भजन राम को पावै। जनम जनम के दुख बिसरावै।। एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥ जो यह पाठ करे https://shivchalisas.com

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