किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी॥ नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥ नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा। काशी में विराजे विश्वनाथ, नंदी ब्रह्मचारी । श्रीरामचरितमानस धर्म संग्रह धर्म-संसार एकादशी किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी॥ अर्थ- हे गिरिजा पुत्र https://jaibhole.co.in/home/Shree-Shiv-Chalisa